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आम सर्दी के वायरस से जु़डा है- बच्चों में मोटापा

Posted by khaskhabar.com
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बचपन का मोटापा न केवल एक महामारी हैं, बल्कि एक नए वैज्ञानिक शोध के अनुसार यह एक आम सर्दी के वायरस "ऎडीनोवायरस-36" द्वारा संचारित रोग भी हो सकता है। "बाल रोग" नाम की एक ऑनलाइन पुस्तक में 20 सितंबर को प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार "ऎडीनोवायरस-36" नाम के वायरस से संक्रमित बच्चों में औरों की तुलना में मोटापे से ग्रसित होने की संभावना अधिक होती है।
कोरियाई बच्चों और अमेरिकी तथा ईटालियन व्यस्कों पर किए गए अध्ययन से पता चला हैं कि सामान्य वजन से लोगों की तुलना में मोटो लोगों में इस वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी होने की संभावना अधिक हैं, जो कि संक्रमित होने से पूर्व का लक्षण है।

इस नए अध्ययन में 67 मोटे तथा 57 सामान्य वजन के बच्चों जिनकी उम्र आठ से 18 साल के बीच हैं, उनके रक्त में "ऎडीनोवायरस-36" के खिलाफ एंटीबॉडी की उपस्थिति का परीक्षण किया गया।

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सैन डिएगो के गैस्ट्रोनोलोजिस्ट तथा बाल चिकित्सक "जेफरी स्विकमर" जैसे शोधकर्ताओं के नेतृत्व में हुए इस अध्ययन में 19 बच्चों में यह एंडीबॉडी पाया गया, जिसमें 15 मोटे और चार सामान्य वजन के थें।
न केवल मोटापे से ग्रसित बच्चों में यह एंडीबॉडी अधिक पाया गया बल्कि उनका वजन उन मोटे बच्चों की तुलना में भी 35 पांउड अधिक पाया गया जो कि इस वायरस से संक्रमित नहीं है।

"वर्जीनिया कॉमनवेल्थ विश्वविद्यालय" तथा "ओबिटेक" कंपनी के संस्थापक तथा एंडोक्राइनोलॉजिस्ट "रिचर्ड एटकिनसन्" ने भी "ऎडीनोवायरस-36" के खिलाफ एंडीबॉडी परीक्षण के लिए एक टीकें पर पेटैंट आयोजित किया हैं।

"एटकिनसन्" के अनुसार नए काम का परिणाम, पशुओं और मनुष्य दोनों पर हुए पिछले अध्ययनों से साबित कर रहा है कि "ऎडीनोवायरस-36" मोटापे के साथ जु़डा हुआ है।

प्रयोगशाला में इस बात पर प्रयोग किया गया कि कैसे यह वायरस मोटापे वृद्धि को बढ़ावा देता हैं, शोध में पाया गया कि इस वायरस से संक्रमित होने के बाद व्यस्कों में उपस्थित स्टेम कोशिकाऎं अधिक से अधिक मात्रा में वसा कोशिकाओं का निर्माण करती हैं तथा ये वसा कोशिकाऎं शरीर में और अधिक वसा जमा करती है जिससे मोटापा बढ़ता है।

"एटकिनसन्" तथा अन्य शोधकर्ताओं के अनुसार मोटापे से ग्रसित व्यस्कों में लगभग 30 प्रतिशत तथा सामानय वजन के लोगों में 10 प्रतिशत "ऎडीनोवायरस-36" के खिलाफ एंटीबॉडी की उपस्थिति पाई गई हैं।

"एटकिनसन्" कहते हैं कि इस नई शोध से मोटापा वृद्धि के अध्ययनों में खासकर उन विकासशील देशों में जहां टीवी, कम्प्यूटर इतने प्रचलित नहीं हैं, काफी सहायता मिलेगी।