Home क्रिसटल थेरेपि

क्रिसटल थेरेपि

Posted by khaskhabar.com
Know about Crystal Therapy

ईश्वरीय शक्ति एवं प्रकाश से भरपूर स्फटिक ( Crystal ) का प्रयोग सदियों से ही हमारे संत महात्मा एवं सिद्ध व्यक्ति अपनी प्राण ऊर्जा को विकसित करने तथा नकारात्मक भावनाओं, वातावरण एवं रोगों से बचने के लिए विविघ तरीकों से करते रहे हैं। एक सामान्य व्यक्ति के लिए स्फटिक हमेशा एक रहस्यमय या सामान्य पदार्थ ही बना रहा और वे इसका लाभ नहीं उठा सके परंतु हाल ही में गहन वैज्ञानिक अनुसंघानों ने व रहस्य शोघक चिकित्सकों ने सैंकडो प्रयोगों से इसकी उपचारक शक्तियों, शरीर मन एवं भावनाओं पर होने वाले आघ्यात्मिक प्रभावों को बखूबी स्थापित किया है। इसी कारण स्फटिक चिकित्सा ( Crystal Healing ) एक अलग चिकित्सा पद्धति के रूप में फैलती जा रही है।
प्राचीन काल में लगभग 30,000 वर्ष पहले के लोग भी इसके जादुई गुणों को पहचानते थे व अपनी प्रजा के रोग निदान के लिए इसका प्रयोग करते थे। एटलान्टिस नाम की प्रसिद्ध सभ्यता के लोगों के पास 25 फीट लम्बा और 10 फीट चौडा विशाल क्वार्ट्ज क्रिस्टल था जिसके ऊर्जा क्षेत्र का प्रयोग करके वहाँ के लोगों की बीमारियों को ठीक किया जाता था। यह कुदरती हरफनमौला पदार्थ दो प्राकृतिक तत्वों ऑक्सीजन व सिलिकॉन के मिश्रण से बना है। जब यह दोनों तत्व गर्मी और असहाय दबाव के साथ भूगर्भ में एक साथ जुडते हैं तो कुदरती स्फटिक का निर्माण होता है। प्राकृतिक स्फटिक के निर्माण में कई सौ वर्ष लग जाते हैं।
एक मेडिकल डॉक्टर भौतिक शरीर का उपचार करता है। एक मनोचिकित्सक मन तथा भावों की चिकित्सा करता है और आघ्यात्मिक पुरूष आत्मा का उपचार करता है लेकिन एक उपचारक को तन-मन और भावनाओं तीनों को संतुलित करके उनका उपचार करना चाहिए क्योंकि मनुष्य इन तीनों का संतुलित योग है। मानव शरीर ऊर्जा व्यवस्थाओं की श्रृंखला है और जब कोई वस्तु शरीर के किसी भी कोष को ऊर्जा पाने से रोकती है या अवरोघ डालती है तो वह कोष कमजोर हो जाता है और वह मस्तिष्क को अघिक ऊर्जा भेजने के लिए संदेश देता है यदि मस्तिष्क उसकी प्रार्थना सुन लेता है और उसके पास जो पर्याप्त ऊर्जा होती है उसे भेज देता है तो वह कोष फिर से अपना कार्य सुचारू रूप से करने लगता है अन्यथा शरीर या उसका प्रभावित अंग बीमार पड जाता है अर्थात् शरीर का सार तत्व ऊर्जा है। स्फटिक विभिन्न प्रकार की ऊर्जाओं को जैविक ऊर्जा में रूपान्तरित करने और उसका विस्तार करने का कार्य करता है जिससे हमारी जैविक ऊर्जा पुन: शक्ति प्राप्त करती है और संतुलित हो जाती है। स्फटिक शरीर में रोग प्रतिरोघक शक्ति का विकास कर प्राण शक्ति को कई गुना बढा देता है जिससे रोगों से लडने की हमारी आन्तरिक क्षमता मजबूत हो जाती है।
क्वार्ट्ज स्फटिक की प्राकृतिक ऊर्जा केवल शरीर पर ही नहीं बल्कि मन एवं भावनाओं पर भी गहरा प्रभाव डालती है। स्फटिक वास्तव में हमारी मानसदृष्टि ( Visualization ) की शक्ति को बढा देता है। इसका प्रभाव हमारे मस्तिष्क रूपी कम्प्यूटर पर पडता है अत: इसके द्वारा शरीर और मन में रहने वाली नकारात्मक शक्ति को दूर कर उसके स्थान पर सकारात्मक शक्ति का संचार किया जाता है। मन एवं भावनाओं के साथ-साथ शरीर के सातों चक्रों को संतुलित करके स्फटिक उनकी कार्य क्षमता का विकास करता है। क्रिस्टल व्यक्ति के चारों ओर एक शक्तिशाली सुरक्षा शक्ति का क्षेत्र लगभग 100 फीट तक बढा देता है। यह दूसरों द्वारा भेजे गए नकारात्मक विचारों के रूपों को प्रभावहीन कर देता है, इसके प्रयोग के बाद रोगियों के कमरों में जाने पर भी (जहाँ शक्तिशाली नकारात्मक विचार होते हैं) उनका कोई दुष्प्रभाव नहीं पडता।
क्वार्ट्ज क्रिस्टल की एक अद्वितीय विशेषता यह है कि यह विचारों और निश्चयों को अपने अन्दर सोख लेता है। हर प्रकार के स्फटिक में अपनी एक अलग तरंग या कंपन होता है। एक उ”वल, स्वच्छ व पवित्र स्फटिक से जो ऊर्जा निकलती है वह जैविक आभा मण्डल द्वारा शीघ्र ही ग्रहण कर ली जाती है। यह ऊर्जा जैविक आभा मंडल से प्रभावित होती भी है और उस पर अपना प्रभाव डालती भी है। इसकी इसी विशेषता के कारण यह एक कुशल प्राकृतिक उपचार का कार्य करता है। जैसे ही यह किसी सजीव प्राणी, पेड-पौघे, जीव जन्तु या वातावरण के संपर्क में आता है, यह उस प्राणी या वस्तु की प्राण ऊर्जा में सामान्य से कई गुना वृद्धि कर देता है जिसे किर्लियन फोटोग्राफी या पेण्डुलम के माघ्यम से बखूबी सिद्ध किया जा सकता है। स्फटिक मन की शक्ति को सुझाव दिए गए स्थान पर भेज सकते हैं, जहाँ पर उसे शारीरिक शक्ति के रूप में बदला जा सकता है। क्वाट्ज क्रिस्टल को हाथ में पकडने या इसके शरीर के संपर्क में आने से मस्तिष्क में अत्यघिक मात्रा में अल्फा तरंगें उत्पन्न होती हैं। अपनी कल्पना शक्ति को क्रिस्टल में डालने की क्रिया का उपभोग करने से आपका मनोमस्तिष्क अल्फा तरंगों की आवृत्ति पर कार्य करने लगता है। अल्फा मनोमस्तिष्क का वह स्तर है जिस पर अवचेतन मन के कम्प्यूटर के सुझाव को ग्रहण करने की क्षमता शुरू हो जाती है। इस स्तर पर ही पुराने हानिकारक प्रोग्राम को मिटाकर सही सुझावों द्वारा उपचार की प्रक्रिया की गति को बढा दिया जाता है। दवाओं और सर्जरी के साथ स्फटिक उपचार करने से मरीज को कम समय में अघिक स्वास्थ्य लाभ मिलता है। इसका कोई विपरीत प्रभाव नहीं पडता।
स्वच्छ पारदर्शी क्वार्ट्ज क्रिस्टल अपने अन्दर इंद्रघनुषीय प्रकाश की किरणों को सोखने व उन्हें प्रसारित ( Transmit ) करने का अद्भुत कार्य करता है। अलग-अलग रंगों जैसे लाल, हरा, नीला, बैंगनी, स्वच्छ पारदर्शी इत्यादि स्फटिक अलग-अलग प्रकार के रोगियों की चिकित्सा में प्रयोग किए जाते हैं। हरे स्फटिक से भौतिक शरीर, हल्के गुलाबी स्फटिक से भावनात्मक शरीर, नीले लाजवर्त ( Sodalite ) स्फटिक ( Rose Quartz ) से मानसिक उपचार और आघ्यात्मिक शरीर के लिए बैंगनी स्फटिक ( Amethyst ) का प्रयोग किया जाता है। इनका उपयोग विभिन्न रूपों में सुविघानुसार किया जा सकता है जैसे- माला पेंडल स्फटिक चक्र, श्रीयंत्र, मूर्तियाँ  Crystal Balls  इत्यादि। ह्वदय चक्र पर पैंडल या स्फटिक की माला के प्रयोग से रोग प्रतिरोघक शक्ति बढ जाती है क्योंकि यह थाईमस ग्रन्थि को बल प्रदान करती है। अपने आसपास के वातावरण में इनका प्रयोग किया जा सकता है जैसे ऑफिस में मेज पर रखकर या रोगी के बिस्तर के आसपास या तकिए के नीचे रखकर ऊर्जा शक्ति के क्षेत्र को बढाया जा सकता है।
अत: हम कह सकते हैं कि शक्तिवर्घक प्रकृति का यह अनमोल सुरक्षा कवच मन, रोग एवं भावनाओं के उद्वेग को शांत कर शरीर व मन की शिथिलता को दूर कर स्वास्थ्य लाभ देता है, आत्मविश्वास और निर्भयता प्रदान कर व्यक्तित्व को निखारता है तथा आघ्यात्मिक विकास में सहयोग करता है।

कुसुम आनंद