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जब पति को खटकने लगे पत्नी!

Posted by khaskhabar.com
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कभी पत्नी के उच्च शिक्षित या खूबसूरत होने से, तो कभी उसके ज्यादा मशहूर या सफल होने से पति का ईगो आहत हो जाता है और वह हीनभावना का शिकार हो जाता है। ऎसे में क्या करे पत्नी कि पति के मन में हीनभावना न पनपने पाएक् भारतीय समाज पहले की तुलना मे काफी उदार, आधुनिक हुआ है, मगर पति-पत्नी के रिश्ते को लेकर उसका नजरिया आज भी परंपरागत ही है। आज भी यही माना जाता है कि पति को पत्नी से अधिक प्रतिभाशाली, गुणी, लंबा और उच्च पदस्थ होना चाहिए। इसी मानसिकता के चलते उस दंपत्ति का दाम्पत्य जीवन कडवाहटों और मुश्किलों से भर जाता है, जहां पत्नी सूरत, सीरत, दौलत व शोहरत में पति से इक्कीस होती है। अक्सर परंपरागत समाज के बांशिदों की तानाकशी, तो कभी पत्नी का अविवेकपूर्ण व्यवहार पति को हीनभावना से भर देता है। पति के व्यवहार में आई जटिलता, संकुचित होता नजरिया पत्नी की परेशानियों को बढाने लगते हैं। अगर पत्नी अपने पति के मन में तेजी से पैर पसार रही हीनभावना की ग्रंथि को पहचानकर उसके निदान के कारगर उपाय नहीं करती है तो उसका फलता-फूलता दाम्पत्य जीवन तबाह भी हो सकता है।
जब पत्नी हो खूबसूरत
खूबसूरत पत्नी की ख्वाहिश हर पुरूष की होती है। लेकिन यह चाह रखने वाला पुरूष स्वयं भी हैंडसम हो, यह जरूरी नहीं है और फिर हिंदुस्तान में बडें-बूढें सदा से यह मानते आए हैं कि आदर्श विवाह के लिए वधू का खूबसूरत होना व वर का उच्च पदस्थ (अमीर) होना आवश्यक है। फिर इस मानसिकता के चलते ऎसे जोडें भी बन जाते हैं, जिन्हें देख "हूर की बगल में लंगूर", "बंदर के गले में मोतियों का हार" जैसी फब्तियां कसी जाती हैं। जिन्हे दरकिनार कर मुस्कुराते रह पाना पति-पत्नी दोनों के लिए कठिन होता है। वैसे तो पत्नी की तारीफें पति को गर्व से भर देती हैं, लेकिन जब पत्नी की आकर्षक पर्सनेलिटी पति के साधारण व्यक्तित्व को और दबा देती हैं, तब संतुलित विचारों वाला पति और भी बौखला जाता है। नतीजतन पति अपनी सुंदर पत्नी के साथ पार्टी-समारोह में शिरकत करने से बचने लगता है। अगर साथ ले जाना जरूरी हो तो पार्टी में पहुंचकर पत्नी से अलग-अलग खडा रहता है। यही नहीं, वह पत्नी की सज-धज पर भी कटाक्ष करता है और यही सब निशानियां है, जिन्हें पहचानकर एक समझदार पत्नी यह जान सकती है कि उसकी खूबसूरती पति को हीनता का बोध करवा रही है।
क्या करे पत्नी
अपने व्यवहार, हाव-भाव, बातचीत से पति को ये विश्वास दिलाएं कि आप सूरत की नहीं, सीरत की कद्रदान हैं। इसके लिए किसी भी तरह की डायलॉगबाजी की जरूरत नहीं है। आम जीवन में हो रही घटनाओं के जरिए आप यह साबित कर सकती हैं - जैसे कोई फिल्म देखते वक्त या किसी कहानी को पढते-पढते उस पर अपनी राय देकर या दोस्तों-परिवारों की महफिल में अपने प्यार भरे स्पर्श के जरिए अपने पति को यह संदेश दे सकती हैं कि आप अपने पति को ही अपना सब कुछ मानती हैं। यहां पर यह समझाने की जरूरत नहीं कि अपने रूप-रंग को लेकर कॉम्प्लेक्स पाले पति के सामने उनके हैंडसम दोस्त या अपने आकर्षक जीजाजी की तारीफ आपको नही करनी है।
जब पत्नी हो उच्च शिक्षित या उच्च पदस्थ
प्राय: लव मैरिज के मामले में ही ऎसी स्थिति आती है। या फिर कभी-कभी शादी के बाद टैलेंटेड पत्नी अपनी मेहनत और टेलेंट के बल पर अपने पति से आगे निकल जाती है। अब चूंकि पति को बचपन से यही सिखाया जाता है कि पुरूष नारी से सुपीरियर है, इसलिए वह इससे उलट स्थिति में खुद को पाता है तो उसके "मेल ईगो" को ठेस पहुंचती है। यहां आग में घी डालने का काम उसके संगी-साथी ही करते हैं। यह कहकर कि-"यार तेरे तो ऎश हैं, भाभी की कमाई तुझसे दोगुनी है जब चाहे कार ले सकता है" तो कभी रिश्तेदार मीठा सा ताना मारते हैं - "अरे विक्की, तूझे इतनी पढी-लिखी बीवी कहां से मिल गईक् तूने तो गे्रज्युएट होने में ही 5 साल लगा दिए थे।"" इन सब बातों से जला-भुना पति अपनी हीनता को दबाने के लिए बिना वजह पत्नी से धौंस-डपट करने लगता है, तो कभी तानाकशी कर पत्नी को आहत करता है।
क्या करे पत्नी
इस तरह के हालात हालांकि चैलेंजिंग होते हैं, लेकिन हिम्मत न हारें और आत्मविश्लेषण करें कि आप अपनी पढाई व कमाई के नशे में चूर अपने पति की कमियों का उपहास तो नहीं कर रहीं, कई कमाऊ पत्नियां सबके सामने यह कहती पाई जाती हैं कि अरे यह कलर टी.वी तो मैं लाई हूं, वरना इनके वेतन से ब्लैक एंड व्हाइट ही आता।"" इस तरह के सच्चाई भरे कटु गर्वोक्ति से तो पति की हीनभावना बढेंगी ही और उनके आत्मसम्मान को भी ठेस पहुंचेगी। ऎसा न करें, बल्कि अगर कोई बाहरी व्यक्ति कम-ज्यादा तनख्वाह का मुद्दा उठाए तो आप कहिए, "हमारे घर में सब कुछ साझा है और हम दोनों पति-पत्नी मिल-जुलकर घर की जिम्मेदारियां निभाते हैं।" आपका यह उत्तर आपके पति को जलालत से बचा लेगा। साथ ही पति को प्रोत्साहित भी करें कि वे भी जीवन में तरक्की करें, न कि हीनभावना से ग्रस्त हो, कॉम्प्लेक्स पर्सनेलिटी बन जाएं।
जब पत्नी हो अमीर
साधारण, मध्यवर्गीय परिवार में पला-बढा पति जब अपने से अमीर, उच्च वर्गीय, वैभवशाली पत्नी पा जाता है तो पत्नी की सहज, मगर रईस जीवनशैली, उसके मायके वालों का ऎश्वर्य, चमचमाती गाडियां, बंगले उसे हीनता का एहसास कराने लगते हैं। उस पर पत्नी का बात-बात पर मायके की ऎश्वर्यगाथा करना, तो कभी उसका यह कहना कि "तुम्हारे साथ मुझे इस छोटे से घर में रहना पड रहा है, वरना मेरे डेडी के तो बडे-बडें बंगले हैं, उसे हीनभावना का शिकार बना देता है।
क्या करे पत्नी
अपने पति का सम्मान बरकरार रखने की ख्वाहिश रखने वाली पत्नी को चाहिए कि वह मायके व ससुराल में अपने पति की पत्नी बनकर रहे, न कि अमीर बाप की बेटी की तरह व्यवहार करे। अगर आपका व्यवहार संतुलित रहेगा व आप पति से उस ऎश्वर्य की डिमांड नहीं करेंगी जो उनके बस में नहीं है, तो पति में कॉम्प्लेक्स पनपेगा ही नहीं। और आपके मायके में अगर उनके सम्मान को कोई ठेस पहुंचाता है तो उसका प्रतिकार करना ही सच्चा पत्नी धर्म होगा। फिर भी अगर आपको लगता है कि मायकेवालों का रवैया ठीक नहीं तो आपको वहां जाना या मेल मिलाप कम कर लेना चाहिए। साथ ही पति को ये भी कहें, "आपके गुणों से प्रभावित होकर मैंने आपका वरण किया है और मुझे आपकी सादगी और जीवनशैली को लेकर कोई शिकायत नहीं हैं।" कोशिश करें कि इन बातों को कहें ही नहीं, उन पर अमल भी करें।
जब पत्नी हो मशहूर
स्त्री-पुरूष की बराबरी की वकालत करने वाले इस देश में आज भी किसी पुरूष को यह बात गाली सदृश्य लगती है कि "इनसे मिलिए, ये हैं मशहूर अदाकारा.. के पति मि.सो एंड सो." लेकिन ऎसा होता है, यह सुनना और झेलना पडता है ऎसे पतियों को जिनकी पत्नियां ऎसे प्रोफेशन में होती हैं, जहां वे पब्लिक फिगर, सेलीब्रिटी बन जाती है या फिर कभी-कभी पति-पत्नी दोनों एक की प्रोफेशन में होते हैं, मगर पत्नी की शोहरत पति के व्यक्तित्व को लील लेती है। याद कीजिए फिल्म अभिमान के पति अमिताभ बच्चन को। पत्नी जया के लगातार बढते कद, नाम, शोहरत से आहत, बौखलाए अमिताभ कॉम्प्लेक्स का शिकार हो जाते हैं और फिर उनका खुशनुमा दाम्पत्य जीवन बिखरने लगता है।
क्या करे पत्नी
ऎसी स्थिति में पत्नी को यह विश्वास दिलाएं कि आज भी वह उसका उतना ही सम्मान करती है, प्यार करती है जितना पहले करती थी, तो पतिदेव अपने को उपेक्षित महसूस नही करेंगे। जहां तक बात है दुनियावालों की, प्रेस/मीडिया की, तो वे पत्नी, जो एक चर्चित चेहरा है उसी को अधिक तरजीह देंगे। ऎसे में अगर पति को अपनी सिचुऎशन ऑड लगती है तो पति-पत्नी यह फैसला ले सकते हैं कि पत्नी ऎसे समारोह में अकेले ही जाए। किसी खास अवसर पर ही दोनों साथ जाएं तो पत्नी को कोशिश करनी चाहिए कि पति का दरकिनार न करें, साथ ही पति को भी चाहिए कि वह व्यर्थ के अहम को लेकर अलग-थलग न बैठा रहे, स्वयं भी लोगों से मिले-जुले, एन्जॉय करे, बेकार की टीका-टिप्पणियों को दिल पर न लें। इससे न तो रिश्ते में गांठ पडेगी, न ही गलतफहमी बढेगी।