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कमिटमेंट में कमी: रिश्तो की हत्या

Posted by khaskhabar.com
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आज के हमारे युवाओं को न तो भविव्य की तनहाइयों की फिक्र है, न हीं जिंदगी की वीरानियों की परवाह, क्योकि वो आज में जीता है। इसी सोच के चलते वो रिश्तों की अहमियत को इस कदर नजरअंदाज कर रहा है। यही वजह है कि न अब रिश्ते टिकाऊ होते है, न ही होता है उनमें कमिटमेंट। किसी भी रिश्ते की बुनियाद होती है प्यार और विश्वास। यदि ये दोनों ही चीजें रिश्ते में न हो, तो वो रिश्ता महज समझौता बनकर रहा जाता है। आज हम जिस तेजी से रिश्ते बनाते है, उसे तेजी से उन्हे तोड भी देते है, क्योकि रिश्ते बनाते समय हमें खुद ही नहीं पता होता है कि आखिर ये रिश्ता कब तक टिकेगा। पिछले 10 सालों में तलाक के मामले कुछ शहरों में दोगुने हो गए तो कही-कही इनमें तीन गुना बढोत्तरी हुई है। जहां 90 के दशक में तलाक के औसतन 1000 मामलें हर साल सामने आते थे, वहीं अब ये संख्या बढकर 9000 हो गई है। अधिकतर मामलों में सामंजस्य की कमी या पार्टनर की बेवफाई को ही तलाक का आधार बनाया गया। बदलती लाइफस्टाइल, बढती प्रोफेशनल आकांक्षाएं, न्यूक्लियर फैमिली, रिश्तों में बढती अपेक्षाए ही इन बढती तलाक दरों की मुख्य वजहें हंै। आज महिलाएं भी तलाक की पहल करने में पीछे नहीं है। अगर रिश्ते में जरा-सी भी कमी या अनबन नजर आती है, तो बयाय कोई समाधान निकालने के तलाक को ही अपनी आजादी का आसान रास्ता मानकर लोग रिश्ते तोडने में हिचकते नहीं। अपनों का साथ, प्यार का एहसास जिंदगी को खुशनुमा बना देता है, जीवन में थोडी-बहुत तकरार भी जरूरी है, इसी का नाम तो जिंदगी है, वक्त रहते जिंदगी को संभाल लिया जाए तो बेहतर है, वरना ऎसा न हो कि हम जब गिरे, तो कोई थामनेवाला ही न हो, हम जब रोएं तो किसी का कंधा सिर रखने के लिए न हो।
कारण:
1. अपने तरीके से जिंदगी जीना - अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीने का फॉर्मूला इन दिनों बहुत फैशन में है, ऎसे में कमिटमेंट्स की उम्मीद किए जाने पर यही सुनने को मिलता है कि इट्स माई लाइफ, मुझे अपने ढंग से अपनी जिंदगी जीने की आजादी चाहिए।
2. प्राइवेसी- आज के युवा अपनी लाइफ में प्राइवेसी चाहते हैं, अपने लाइफ पार्टनर से भी। रिलेशनशिप में स्पेस जरूरी होता है, लेकिन इस शब्द को मात्र अपने गैरजिम्मेदाराना व्यवहार के लिए बचाव के तौर पर ही इस्तेमाल किया जाने लगा है। अपने पार्टनर से चंद सवाल करने का मतलब यह लगाया जाता है कि आप उसे स्पेस नहीं दे रहे, उसकी प्राइवेसी से दखलअंदाजी कर रहे है।
3. एक्स्पेक्ट मोर- आजकल पहले ही एक दूसरे को यह साफ तौर पर कह दिया जाता है कि मुझसे ज्यादा उम्मीद मत रखना, मैं तुम्हारे लिए खुद को नहीं बदलूंगा/बदलूंगी।
4. कमिटमेंट फोबिया - कहते है कुछ लोग कमिटमेंट से डरते है, शायद उन्हें अपने प्यार व रिश्ते पर इतना भरोसा ही नहीं होता कि वो टिक पाएंगा या यूं कह ले कि कुछ लोग इतने मनचले होते है कि एक ही रिश्ते पर टिके रहना उनके बस की बात नहीं।
5. एक रिश्ते में न टिक पाना- एक ही रिश्ते पर पूरी उम्र बिता देने का दौर अब बीत चुका। ऎसे लोगों को अब इमोशनल फूल्स कहा जाता है। रिश्तों को बचाने की बात तो दूर, ठीक से बनने से पहले ही ये बात साफ हो जाती है कि अब तब ठीक लगेगा, साथ रहेंगे, वरना अपने अपने रास्ते।
6. प्रैक्टिकल - रिश्तों में प्रैक्टिकल होना आज जरूरी हो गया है। लोग सोचते है कि आगे बढना है तो प्रैक्टिकल होना जरूरी है। भावनाओं में उलझे रहेंगे, तो जिंदगी उलझ जाएगी। बदलते दौर के साथ नहीं बदलेंगे तो पीछे रहे जाएंगे।
उपाय:
1. बातचीत - किसी भी रिश्ते के लिए यह सबसे पहला और जरूरी स्टेप होता है। बिना बातचीत के रिश्तों में खालीपन आ जाता है। अगर कोई नाराजगी है, शिकायत है तो कहिए, चुप मत रहिए।
2. आदर - आपके मन में अपने पार्टनर के प्रति आदरभाव होना चाहिए। भले ही आप कितने भी बेतकल्लुफ हो एक दूसरे से, लेकिन एक दूसरे के प्रति रिस्पेक्ट बनी रहनी चाहिए। जिस व्यक्ति का आप सम्मान नहीं कर सकते, उससे प्यार कब तक कर पाएंगे।
3. एक बार सोचें - अगर आपके रिश्ते में कोई प्रोब्लम चल रही है तो तैश में आकर कोई फैसला न लें। हो सकता है कुछ समय के लिए आपको रिश्ता बंधन लग रहा हो, लेकिन एक बार शांत मन से दोबारा सोचें कि क्या वाकई ऎसा है। क्या वाकई कहीं कोई गुंजाइश नहीं बची है रिश्तें मेंक् हर हाल में रिश्ते को थोडा समय दे।
4. रोमांस - कभी-कभी समय की कमी और कई कारण से रिश्ता बोझिल हो जाता है, ऎसा न होने दे। प्यार है, तो प्यार का इजहार समय-समय पर करते रहे, पैशन को जिंदा रखने के लिए जरूरी उपाय करते रहे। बाहर जाए, मूवी देखे, पार्टी करे या किसी शांत जगह जाकर तनहाई का मजा ले और रोमांस करे।
5. विश्वास - हर रिश्ता विश्वास पर टिका होता है। आपको अपने साथी पर विश्वास करना चाहिए। अगर आपके रिश्ते में विश्वास नहीं होगा तो आप चाहकर भी एक दूसरे के करीब नहीं आ पांएगे। विश्वास के बिना कोई भी रिश्ता नही टिक सकता। किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले एक मौका जरूर दे।
6. दोस्त बनें - अगर आपको लगता है कि आपका पार्टनर आपसे खुलकर बात नहीं कर पा रहा है या फिर वह आपसे बात करने में झिझकता है तो आप उससे दोस्तों की तरह व्यवहार करें।दोस्ती का रिश्ता एक ऎसा रिश्ता होता है, जहां हम खुद को आजाद समझते है। वो हमारे लिए बंधन नहीं होता, तो अपने रिश्ते में भी वहीं दोस्ताना अंदाज लाएं, जहां रिश्ता बंधन लगे ही न और अगर लगे भी तो ऎसा बंधन, जिससे आप ताउम्र बंधे रहना चाहे।
7. पार्टनर को समझें - हर किसी को यही लगता है कि वही सही है सामने वाला गलत है। लेकिन किसी भी बात का फैयला करने से पहले आप ठंडे दिमाग से सोचे। हो सकता है आपका पार्टनर भी अपनी जगह पर सही हो। हर स्थिति को सामने वाले के नजरिए से भी देखें और उसके बाद ही कोई राय बनाएं। यूं भी हर व्यक्ति अलग होता है, उसकी सोच एकदम हमारे जैसी नहीं हो सकती, तो उससे इतना ज्यादा बदलने की उम्मीद करने से बेहतर है उसके अपने अलग व्यक्तित्व को स्वीकारे। दो अलग सोच रखने वाले लोग भी मिलकर एक अच्छी और कामयाब जिंदगी जी सकते है।
8. आरोप-प्रत्यारोप - आरोप लगाने से कभी किसी रिश्ते में मजबूती नहीं आती। वो मात्र आपके ईगो को संतुष्ट कर सकता है। खुद को सही साबित करने के लिए बहस करने की बजाय आगे किस तरह से समझदारी से अपने रिश्ते को मजबूत बनाया जाए। इस पर विचार होना चाहिए। कोई एक झुक जाए, माफी मांग ले, तो इसमें बुरा ही क्या है।
9. अहंकार को दूर करें - स्वाभिमान और अहंकार में बहुत फर्क होता है। इस फर्क को समझकर अपने रिश्ते को बचाने की कम से कम एक कोशिश तो करे। ईगो को स्वाभिमान का नाम देकर अपने अहं की तुष्टि के लिए रिश्ते को खत्म करने की गलती न करे।
10. रिश्तों की अहमियत को समझें - आप कितने ही प्रैक्टिकल हो, लेकिन जीवन में किसी मोड पर एक साथी, एक हमसफर की जरूरत जरूर महसूस होती है। जीवन का ये सूनापन फिलहाल ग्लैमरस लाइफस्टाइल और आर्थिक कामयाबी के बीच नजर न आ रहा हो, लेकिन कहीं ऎसा न हो कि जब ये अकेलापन नजर आने लगे, तब तक देर हो चुकी हो।